दर्शन हेतु समय बुक करें

अपॉइंटमेंट बुक करें

×
दर्शन का समय
  • सोमवार से शुक्रवार: सुबह 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक
  • शनिवार एवं रविवार: बंद

हनुमान चौहान (गुरुजी) का जीवन परिचय

पूज्य गुरु श्री हनुमान जी चौहान का जन्म 26 मार्च 1983 को राजस्थान के जोधपुर जिले के केरू गाँव में हुआ। आपके पिताजी श्री ख़ेमाराम जी चौहान और माताजी श्रीमती चुकी देवी एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं। बचपन से ही गुरुजी संवेदनशील, आध्यात्मिक और सेवा भाव से युक्त थे।

गुरुजी को संगीत से विशेष प्रेम है, और बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन रहे हैं। आपके सरल स्वभाव और सहजता ने आपको जनमानस में अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया।

Guru Ji
Guru Ji

आध्यात्मिक यात्रा

वर्ष 2017 में पूज्य गुरुजी के जीवन में आध्यात्मिक जागरण का विशेष क्षण आया। एक दिन ध्यान के समय आपको एक दिव्य ऊर्जा का अनुभव हुआ। इसके बाद आपके भीतर से सेवा, उपचार और आत्मशक्ति का प्रकटीकरण होने लगा। आपने अपने स्पर्श मात्र से कई असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को चमत्कारिक रूप से राहत दी। आपका यह अनुभव धीरे-धीरे एक आध्यात्मिक आंदोलन में बदल गया, जिसे आज 'केरुधाम मिशन' के रूप में जाना जाता है।

हमारे बारे में

केरुधाम आश्रम एक आध्यात्मिक, प्राकृतिक उपचार एवं सेवा केंद्र है, जिसकी स्थापना पूज्य गुरु श्री हनुमान जी चौहान ने वर्ष 2017 में मानव कल्याण हेतु की। यह आश्रम प्राकृतिक चिकित्सा, ध्यान, योग, सत्संग, लंगर, गौ सेवा, पक्षी सेवा जैसे अनेक सेवाकार्यों का केंद्र है।

हज़ारों श्रद्धालु यहाँ प्रतिदिन आते हैं – शारीरिक, मानसिक और आत्मिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए। गुरुजी की दिव्य दृष्टि और मोरपंख स्पर्श चिकित्सा विधि से लोगों को असाध्य रोगों में भी आश्चर्यजनक लाभ हुआ है।

Ashram
Ashram

लक्ष्य

  • मानव समाज को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक पीड़ा से मुक्त कराना।
  • भारत की सनातन आध्यात्मिक परंपरा और आयुर्वेदिक चिकित्सा को पुनर्जीवित कर विश्वभर में पहुँचाना।
  • गौ सेवा, पक्षी सेवा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना।
  • समाज में सकारात्मकता, करुणा और सेवा भाव का प्रसार करना।

उद्देश्य

  • मोरपंख स्पर्श चिकित्सा के माध्यम से असाध्य रोगों का निवारण।
  • नशा मुक्ति और मानसिक रोगों से मुक्ति के लिए आध्यात्मिक उपाय।
  • निर्धनों को निःशुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा और भोजन सेवा।
  • ध्यान, योग और सत्संग के द्वारा समाज को जागरूक करना।

गुरुजी की मुख्य शिक्षाएँ

ईश्वर से जुड़ाव

गुरुजी ने प्रार्थना और ध्यान के माध्यम से ईश्वर से सीधा संबंध स्थापित करने के महत्व को विशेष रूप से बताया। यह व्यक्तिगत संबंध पूर्ण समर्पण और निःस्वार्थ आस्था को जन्म देता है, जिससे भक्तों को गहरा आध्यात्मिक विकास और परिवर्तन अनुभव होता है।

विविधता में एकता

गुरुजी ने सभी धर्मों को एक समान मानते हुए विभिन्न मतों और संस्कृतियों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा दिया। उन्होंने अनुयायियों को ईश्वर तक पहुँचने के सभी मार्गों को अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिससे समाज में सामंजस्य और समझ की भावना उत्पन्न हो।

आध्यात्मिकता

गुरुजी ने आध्यात्मिकता को व्यावहारिक रूप में अपनाने पर ज़ोर दिया, जिसमें अच्छे कर्म और सेवा प्रमुख रहे। उनका विश्वास था कि सच्चा आध्यात्मिक विकास करुणा से परिपूर्ण जीवन जीने और दूसरों की सहायता करने से ही संभव है, जिससे आध्यात्मिकता को दैनिक जीवन में सरलता से अपनाया जा सके।