लगभग एक साल पहले मिस राजस्थान ट्विंकल पुरोहित जी केरुधाम आश्रम आई थीं और गुरुजी से सफलता की मन्नत माँगी थी। उन्होंने श्रद्धा और विश्वास के साथ गुरुजी के आशीर्वाद से अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की थी।
आज वही मन्नत पूरी हो गई है। ट्विंकल जी ने अब ‘मिस वर्ल्ड’ बनने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। यह क्षण उनके साथ-साथ पूरे केरुधाम परिवार के लिए गौरव और खुशी का विषय है।
इस विशेष अवसर पर ट्विंकल जी पुनः आश्रम पहुँचीं, जहाँ उन्होंने गुरुजी से आशीर्वाद लिया और अपनी कृतज्ञता व्यक्त की कि किस तरह उनकी मन्नत सच्चे विश्वास के साथ पूरी हुई।
गुरुजी ने उन्हें शुभकामनाएँ और आशीर्वाद देते हुए कहा — “जब विश्वास सच्चा हो, तो मंज़िलें खुद रास्ता बना लेती हैं।”
“एक साल पहले मैं केरुधाम आई थी, मन में बस एक सपना और विश्वास था। आज वही सपना साकार हो गया है। गुरुजी के आशीर्वाद ने सच में मेरी राह आसान कर दी — अब मैं ‘मिस वर्ल्ड’ बनने की दिशा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही हूँ।”
इस व्यक्ति की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो रही थी। कई डॉक्टरों और उपचारों के बावजूद स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हो रहा था। परिवार गहरी चिंता और निराशा में था।
जब सारी उम्मीदें लगभग खत्म होने लगीं, तब उन्होंने केरुधाम आश्रम में आकर ऊर्जा चिकित्सा, ध्यान और आध्यात्मिक उपचार की प्रक्रिया को अपनाया।
कुछ ही समय में आंखों की रोशनी में धीरे-धीरे सुधार दिखाई देने लगा। जहां पहले धुंधला दिखता था, अब वस्तुएँ स्पष्ट दिखने लगीं। यह परिवार के लिए आशा और विश्वास की नई किरण बन गया।
आज इनकी दृष्टि पहले से काफी बेहतर है और परिवार केरुधाम के प्रति गहरा आभार व्यक्त कर रहा है।
“डॉक्टरों ने कहा था कि अब आंखों की रोशनी वापस नहीं आएगी। लेकिन केरुधाम में आकर धीरे-धीरे नजर साफ होने लगी। अब मैं चीजें स्पष्ट देख पा रहा हूँ — यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।”
यह बच्चा जन्म के बाद मूवमेंट न कर पाने की गंभीर समस्या से जूझ रहा था। परिजनों ने कई अस्पतालों और इलाजों का सहारा लिया, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं हो पा रहा था।
जब परिवार पूरी तरह निराश होने लगा, तब उन्होंने केरुधाम आश्रम का सहारा लिया। यहाँ विशेष ऊर्जा चिकित्सा, ध्यान और आध्यात्मिक उपचार की प्रक्रिया से बच्चे को जोड़ा गया।
धीरे-धीरे बच्चे में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगे और अब उसमें मूवमेंट आना शुरू हो गया है। यह बदलाव परिवार के लिए खुशी और विश्वास की नई किरण लेकर आया है।
आज बच्चा पहले से कहीं ज्यादा सक्रिय और स्वस्थ है, और परिवार आभार से भरा हुआ है।
“हमने सोचा था कि बच्चा कभी मूवमेंट नहीं कर पाएगा। लेकिन केरुधाम में आने के बाद उसमें मूवमेंट आना शुरू हो गया है। यह हमारे लिए चमत्कार है।”
अमेरिका से आए एक व्यक्ति पिछले दो साल से डायलिसिस की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। तमाम बड़े अस्पतालों और आधुनिक इलाजों के बावजूद उन्हें स्थायी आराम नहीं मिल पा रहा था।
जब सारी कोशिशें विफल होने लगीं और जीवन की उम्मीदें धुंधली पड़ने लगीं, तब उन्होंने केरुधाम आश्रम का रुख किया। यहाँ उन्हें विशेष ऊर्जा चिकित्सा, ध्यान और आध्यात्मिक उपचार की प्रक्रिया से जोड़ा गया।
पहले ही कुछ दिनों में उनके शरीर में हल्कापन और ऊर्जा का अनुभव हुआ। धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार आने लगा और डायलिसिस की निर्भरता कम होने लगी। आज वे पहले से कहीं ज्यादा स्वस्थ और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। उनके परिवार की आँखों में आभार और विश्वास झलकता है।
“हमने सोचा था कि अब जिंदगी सिर्फ दवाइयों और डायलिसिस तक सीमित रह जाएगी। लेकिन केरुधाम ने हमें नई उम्मीद और नया जीवन दिया।”
अमेरिका से आए एक व्यक्ति पिछले 20 वर्षों से आंखों की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। धीरे-धीरे उनकी दृष्टि कमजोर होती चली गई। वहां के बड़े से बड़े डॉक्टर और नवीनतम इलाज करने के बावजूद कोई स्थायी सुधार नहीं हो पाया।
लगातार निराशा और संघर्ष झेलने के बाद उन्होंने केरुधाम आश्रम का रुख किया। आश्रम में उन्हें विशेष ऊर्जा चिकित्सा और ध्यान साधना से जोड़ा गया।
कुछ ही दिनों में उनकी आंखों में हल्की रोशनी और चमक महसूस होने लगी। धीरे-धीरे उनकी दृष्टि में सुधार आया और वे पहले से अधिक स्पष्ट देख पाने लगे।
यह क्षण उनके और उनके परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।
“20 साल से हमने इस उम्मीद को खो दिया था कि हमारी आंखों की रोशनी कभी लौट पाएगी। लेकिन केरुधाम ने हमें वह शक्ति और विश्वास दिया जिसने चमत्कार कर दिया।”
एक व्यक्ति पिछले चार वर्षों से लगातार कमर दर्द की समस्या से परेशान थे। उन्होंने कई अस्पतालों और आधुनिक उपचारों का सहारा लिया, लेकिन उन्हें स्थायी आराम नहीं मिल पा रहा था।
लगातार निराशा और दर्द के बीच उन्होंने केरुधाम आश्रम आने का निर्णय लिया। यहाँ उन्हें विशेष ऊर्जा चिकित्सा, ध्यान साधना और आध्यात्मिक उपचार से जोड़ा गया।
कुछ ही दिनों में उनके शरीर में हल्कापन महसूस होने लगा और कमर दर्द में स्पष्ट सुधार दिखाई देने लगा। आज वे पहले से कहीं ज्यादा सक्रिय, स्वस्थ और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।
उनके परिवार के लिए यह पल किसी चमत्कार से कम नहीं था।
“4 साल से हमने कमर दर्द के लिए अनगिनत इलाज कराए, लेकिन सुकून नहीं मिला। केरुधाम ने हमें वह राहत दी जो हम तलाश रहे थे।”
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव का 8 साल का बच्चा जन्म से चलने में असमर्थ था। परिवार ने तीन सालों तक कई अस्पतालों और इलाजों की कोशिश की, लेकिन कोई स्थायी परिणाम नहीं मिला।
जब सारी उम्मीदें टूटने लगीं, तब वे केरुधाम पहुँचे। वहाँ बच्चे को विशेष ऊर्जा चिकित्सा और ध्यान सत्र दिए गए। पहले ही दिन उसके पैरों में हल्की हरकत दिखी।
कुछ ही दिनों में बच्चा खुद से खड़ा हुआ और चलने लगा। यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
केरुधाम में जो कुछ हुआ उसने पूरे परिवार को कृतज्ञता, आस्था और आश्चर्य से भर दिया।
“हमने सारी उम्मीदें खो दी थीं, लेकिन केरुधाम ने हमारे बेटे को नया जीवन दिया।”
राजस्थान के नागौर से आया 6 साल का बच्चा पिछले एक साल से एक आंख से बिल्कुल नहीं देख पा रहा था। कई डॉक्टरों और इलाजों के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ।
बहुत दुखी होकर परिवार केरुधाम पहुँचा, एक चमत्कार की उम्मीद के साथ। वहाँ बच्चे को विशेष ऊर्जा संतुलन और नेत्र-केंद्रित चिकित्सा सत्र दिए गए।
सभी को हैरान करते हुए, बच्चे ने एक बार फिर उस आंख से रोशनी देखनी शुरू की। यह दृश्य देखकर परिवार भावुक हो उठा और इसे किसी चमत्कार से कम नहीं माना।
केरुधाम में घटित इस क्षण ने पूरे परिवार को उम्मीद, खुशी और आध्यात्मिक विश्वास से भर दिया।
“हमें कहा गया था कि अब कोई उम्मीद नहीं, लेकिन केरुधाम में हमारे बच्चे की आंखों में फिर से रोशनी आ गई।”
नागौर, राजस्थान के एक मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति को पिछले 4–5 वर्षों से तीव्र नीचे की पीठ में दर्द की समस्या थी। बैठना, खड़ा होना या थोड़ी दूर तक चलना भी बेहद दर्दनाक हो गया था।
उन्होंने कई इलाज, पेनकिलर्स और थेरेपी अपनाईं, लेकिन कोई स्थायी राहत नहीं मिली। अंत में, उन्होंने उम्मीद और भरोसे के साथ हमारे सेंटर का रुख किया।
विस्तृत जांच के बाद, हमने उनके लिए एक विशेष उपचार शुरू किया — जिसमें प्राकृतिक उपचार, सही पोस्चर और मांसपेशियों को आराम देने पर ध्यान दिया गया। कुछ ही हफ्तों में उनका दर्द काफी हद तक कम हो गया। आज वे बिना सर्जरी या भारी दवाओं के दर्दमुक्त और सक्रिय जीवन जी रहे हैं।
“सालों की तकलीफ के बाद, यहां आकर मुझे राहत मिली और मेरी दर्दमुक्त ज़िंदगी वापस मिल गई।”
राजस्थान के एक ग्रामीण क्षेत्र से आए एक व्यक्ति को पुराने दर्द की समस्या थी, जो उनके पैरों और घुटनों में लगातार बनी रहती थी। वह दो वर्षों से ज्यादा समय से पीड़ित थे और चलने, लंबे समय तक खड़े रहने या सीढ़ियाँ चढ़ने में कठिनाई महसूस करते थे। यह दर्द उनकी दिनचर्या और स्वतंत्रता में बाधा बन गया था।
विस्तृत जांच के बाद, हमने बिना सर्जरी के एक उपचार योजना शुरू की, जिसमें प्राकृतिक उपचार विधियाँ, मांसपेशियों को मजबूत करने की तकनीकें, और शरीर का सही पोस्चर सुधारना शामिल था। धीरे-धीरे उनकी जकड़न और दर्द कम होने लगा।
आज वह बिना किसी परेशानी के चल पा रहे हैं, रोजमर्रा के काम कर रहे हैं, और बिना दवाइयों या सर्जरी के दर्दमुक्त जीवन जी रहे हैं।
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि दोबारा बिना दर्द चल पाऊँगा — लेकिन अब मैं बिना घुटनों के दर्द के जीवन जी रहा हूँ!”
जोधपुर के पास पाली से आई एक मध्यम आयु वर्ग की महिला पिछले 5 सालों से लगातार सांस की तकलीफ से जूझ रही थीं। कुछ कदम चलना, सीढ़ियाँ चढ़ना या घर के काम करना भी उन्हें थका देता था और सांस फूलने लगती थी।
उन्होंने इनहेलर, दवाइयाँ और घरेलू उपाय आज़माए, लेकिन कोई भी उपाय स्थायी राहत नहीं दे सका। एक प्राकृतिक समाधान की तलाश में वह हमारे केंद्र पर पहुँचीं।
पूरी जांच के बाद हमने उनके लिए एक उपचार योजना बनाई जिसमें फेफड़ों की क्षमता बढ़ाना, बलगम साफ करने की थेरेपी, और गाइडेड ब्रीदिंग तकनीक्स शामिल थीं। कुछ ही हफ्तों में उन्हें सांस लेने और ऊर्जा में फर्क महसूस हुआ।
आज वह स्वस्थ रूप से सांस ले रही हैं, आत्मविश्वास से चल-फिर रही हैं, और बिना दवाइयों के एक बेहतर जीवन जी रही हैं।
“5 साल तक सिर्फ सांस लेने के लिए जूझती रही — अब हल्का और आज़ाद महसूस होता है। बिना डर के गहरी सांस ले सकती हूँ।”
राजस्थान के बाड़मेर से 36 वर्षीय महिला पिछले 7 वर्षों से व्हीलचेयर पर आश्रित थीं। उन्हें नसों की कमजोरी और जोड़ों की जकड़न के कारण चलना तो दूर, बिना सहारे खड़ा होना भी मुश्किल था।
उन्होंने कई सालों तक पारंपरिक इलाज और दवाइयाँ लीं, लेकिन कोई स्थायी सुधार नहीं हुआ। फिर उन्होंने एक प्राकृतिक इलाज की उम्मीद में हमारे केंद्र का रुख किया।
विस्तृत जांच के बाद हमने न्यूरो-मस्कुलर रिएक्टिवेशन थेरेपी, ताकत बढ़ाने वाले व्यायाम, और पोस्चर सुधारने के सेशंस शुरू किए। धीरे-धीरे उनके पैरों में ताकत और संतुलन लौट आया। आज वह स्वयं चलती हैं — आत्मविश्वास से और बिना दर्द के, और व्हीलचेयर अब बीते कल की बात बन चुकी है।
“मैंने सोचा था कि अब कभी खड़ी नहीं हो पाऊंगी — लेकिन आज मैं हर दिन चलती हूँ। ऐसा लगता है जैसे मेरी ज़िंदगी लौट आई है।”
अजमेर के 47 वर्षीय पुरुष को लगातार एड़ी के दर्द की समस्या करीब दो वर्षों से थी। ज्यादा देर चलना, काम के दौरान खड़ा रहना या सीढ़ियाँ चढ़ना दिन-ब-दिन पीड़ादायक होता जा रहा था।
उन्होंने हील पैड, दर्द निवारक दवाएं और घरेलू उपाय आज़माए, लेकिन कोई स्थायी राहत नहीं मिली। परेशान होकर वे स्थायी समाधान के लिए हमारे सेंटर पहुंचे।
उनके पैरों की बनावट और चलने के तरीके की जांच के बाद हमने एक विशेष उपचार योजना बनाई, जिसमें हील कुशनिंग, मांसपेशियों की जकड़न दूर करना और दबाव संतुलन शामिल था। कुछ ही हफ्तों में दर्द काफी कम हो गया और पैरों की नैचुरल मूवमेंट लौट आई।
आज वे बिना किसी तकलीफ के आराम से चलते हैं और आत्मविश्वास से दिनचर्या का आनंद लेते हैं।
“पहले हर कदम दर्द देता था। अब बिना दर्द के चल सकता हूँ और फिर से अपनी जिंदगी जी रहा हूँ।”
सोजत की 39 वर्षीय महिला पिछले तीन वर्षों से लगातार खुजली और फंगल संक्रमण (दाद, खाज, खुजली) से परेशान थीं। यह समस्या उनकी नींद, आत्मविश्वास और रोजमर्रा की दिनचर्या को प्रभावित कर रही थी।
उन्होंने कई क्रीम, पाउडर और गोलियां इस्तेमाल कीं, लेकिन संक्रमण बार-बार लौट आता था। बार-बार हो रही तकलीफ से परेशान होकर वह हमारे सेंटर आईं, एक स्थायी समाधान की तलाश में।
त्वचा की गहराई से जांच करने के बाद हमने नेचुरल डिटॉक्स और एंटी-फंगल थेरेपी के साथ टॉपिकल केयर शुरू की। धीरे-धीरे उनकी त्वचा साफ़ हो गई और खुजली पूरी तरह बंद हो गई।
अब वे बिना किसी संक्रमण या परेशानी के आराम से जीवन जी रही हैं।
“पहले लगातार खुजली के कारण ना ठीक से सो पाती थी, ना ध्यान लगा पाती थी — अब त्वचा एकदम साफ़ है और आत्मविश्वास लौट आया है।”
राजस्थान के फालना से एक परिवार हमारे केंद्र पर दो अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं के लिए आया। उनके नाबालिग बेटे को बवासीर की परेशानी थी, जिससे बैठने और शौच में काफी दिक्कत हो रही थी। वहीं, उनके चाचा वर्षों से घुटनों के तेज दर्द से परेशान थे, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो गया था।
गहराई से जांच के बाद, हमने दोनों के लिए अलग-अलग उपचार योजनाएं बनाईं। बच्चे को हल्की हर्बल औषधि और खानपान में सुधार दिया गया — जिससे कुछ ही हफ्तों में राहत दिखने लगी। चाचा को बिना सर्जरी वाली जॉइंट थेरेपी, स्ट्रेंथनिंग और मसल रिलीज ट्रीटमेंट दिया गया।
दोनों में उल्लेखनीय सुधार हुआ — बच्चा अब बिना डर के एक्टिव है और चाचा आराम से चल-फिर रहे हैं।
परिवार अब कृतज्ञ और आध्यात्मिक रूप से धन्य महसूस करता है कि उन्हें हमारे केंद्र से स्थायी राहत मिली।
“अब बेटा मुस्कुराता है, चाचा आराम से चलते हैं — और हम सभी गुरुजी की कृपा के लिए हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।”
राजस्थान के जोधपुर के पास के एक गाँव के 54 वर्षीय व्यक्ति की पिछले दो सालों से धीरे-धीरे दृष्टि कमजोर हो रही थी। उन्हें धुंधली दृष्टि, बार-बार सिरदर्द और आंखों में थकान
विस्तृत परीक्षण के बाद, उन्हें प्रारंभिक मोतियाबिंद और नेत्र पेशियों की थकान का निदान किया गया। हमने उनके लिए एक व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार की, जिसमें विज़न रिहैब एक्सरसाइज, पोषण थेरेपी, और हल्की लेज़र सहायता से उपचार शामिल था।
कुछ ही हफ्तों में उनकी दृष्टि में सुधार दिखने लगा। आज वे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, बिना तनाव के पढ़ते हैं और आत्मविश्वास के साथ अपने दैनिक कार्यों को संभालते हैं।
“मैंने सोचा था कि अब हमेशा धुंधली नजर ही रहेगी — लेकिन अब सब कुछ साफ दिखता है। यह एक नई शुरुआत जैसी लगती है।”
अजमेर के पास नसीराबाद की 42 वर्षीय महिला को दाहिने हाथ में तेज़ दर्द और झनझनाहट की समस्या थी, जो कई महीनों से बनी हुई थी। कई डॉक्टरों से परामर्श के बाद उन्हें बताया गया कि कलाई की नस दब रही है और इसका इलाज सिर्फ ऑपरेशन से ही संभव है।
ऑपरेशन से बचना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने हमारे केंद्र का रुख किया। जांच के बाद हमने नॉन-सर्जिकल थेरेपी शुरू की जिसमें नर्व डीकंप्रेशन, मांसपेशियों को खोलने की प्रक्रिया और शरीर की स्थिति सुधारने वाले उपचार शामिल थे।
कुछ ही सत्रों में उन्हें राहत मिलने लगी। धीरे-धीरे दर्द कम हुआ, हाथ की ताकत लौटी और वह सामान्य कार्य फिर से करने लगीं।
आज वह बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें किसी सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ी।
“डॉक्टर ने कहा था ऑपरेशन ज़रूरी है, लेकिन आज बिना ऑपरेशन मैं पूरी तरह ठीक हूं और दर्द से मुक्त हूं।”
मेड़ता, नागौर (राजस्थान) की एक महिला गर्भाशय फाइब्रॉइड की समस्या के साथ हमारे पास आई थीं। वह कई महीनों से निचले पेट में दर्द, अनियमित मासिक धर्म और असहजता से पीड़ित थीं।
सही जांच के बाद हमने बिना सर्जरी के प्राकृतिक और आधुनिक विधियों के संयोजन से उनका इलाज शुरू किया। कुछ ही हफ्तों में उन्हें राहत महसूस हुई और अब उनका फाइब्रॉइड पूरी तरह समाप्त हो चुका है।
“डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी थी, लेकिन मैं यहां बिना सर्जरी के ठीक हो गई। बहुत-बहुत धन्यवाद!”
राजस्थान के एक 48 वर्षीय पुरुष लंबे समय से हाथ में तेज़ दर्द और अकड़न की समस्या से जूझ रहे थे। दर्द के कारण न तो ढंग से काम कर पाते थे और न ही आराम मिल पा रहा था। कई जगह इलाज कराया, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं मिला।
आखिरकार उन्होंने हमारे केंद्र में संपर्क किया। पहली ही फेरी में, हमने उनकी स्थिति का मूल्यांकन कर उचित मांसपेशीय थेरेपी और नर्व रिलीज तकनीक शुरू की।
हैरानी की बात यह रही कि पहली ही फेरी के बाद उन्हें दर्द से पूरी तरह राहत मिल गई। आज वह सामान्य रूप से हाथ का उपयोग कर रहे हैं और किसी तरह की असुविधा नहीं है।
मरीज ने इसे जीवन में आए सुखद मोड़ के रूप में बताया।
“पहले तो हाथ उठाना भी मुश्किल था, लेकिन अब एक भी दर्द नहीं है – वो भी सिर्फ पहली फेरी के बाद।”